पृष्ठभूमि
इंग्लैण्ड
में ट्यूडर राजवंश की स्थापना से पूर्व राजा जॉन (King
John, 1199-1216 ई०) के अत्याचारों एवं उसकी दोषपूर्ण प्रशासन
नीतियों से पीड़ित जनता ने उसका विरोध करना आरम्भ किया। 1213 ई० में एक सभा हुई जिसमें नागरिक स्वतन्त्रता
का अधिकार-पत्र तैयार किया गया। यह अधिकार-पत्र 'मैग्नाकार्टा'
(Magna Carta) के नाम से प्रसिद्ध
हुआ। 15
जून 1215 ई० को राजा जॉन ने इसे स्वीकार कर लिया।
एडवर्ड
प्रथम (1272-1307 ई०) के राज्यकाल में संसद दो सदनों में विभाजित
हो गई 'हाउस ऑव लॉर्ड्स'
(House of Lords) तथा 'हाउस ऑव कॉमन्स'
। ब्रिटेन से प्रभावित होकर
कालान्तर में सभी देशों ने अपने यहाँ द्विसदनात्मक प्रणाली को स्वीकार किया। यह भी
व्यवस्था की गई कि राजा संसद की पूर्व स्वीकृति के विना कोई धन खर्च नहीं कर सकता
।
ट्यूडर
राजवंश से पूर्व देश में संसद की शक्ति का उत्तरोत्तर विकास हो रहा था तथा सामन्त
वर्ग अपने परम्परागत अधिकारों को बनाये रखने के लिए प्रयलशील था।
इंग्लैण्ड में ट्यूडर
निरंकुशवाद (1485-1603) की प्रमुख विशेषतायें
1485 ई० में हेनरी सप्तम ने 'गुलावों के युद्ध' (War of Roses) में
विजय प्राप्त कर इंग्लैण्ड में ट्यूडर राजवंश की स्थापना की जिससे इंग्लैण्ड ने
आधुनिक युग में प्रवेश किया।
परन्तु
ट्यूडरों के राजसत्ता में आने से परिस्थिति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया। ट्यूडर
शासकों ने देश में दीर्घकालीन गृह-युद्धों से व्याप्त अराजकता को समाप्त करने के
लिए निरंकुश शक्ति का प्रयोग किया। इसी कारण ट्यूडर शासकों का शासनकाल इतिहास में 'ट्यूडर निरंकुशवाद के
युग' के
नाम से अभिहित किया जाता है। इन शासकों ने संसद का अपने स्वार्थ एवं सुविधा के
अनुकूल प्रयोग किया परन्तु कालान्तर में इसके परिणाम संसदीय विकास के लिए हितकर
सिद्ध हुए। ट्यूडर राजवंश में तीन महत्वपूर्ण शासकों ने अपना योगदान दिया - राजा
हेनरी सप्तम (Henry VII, 1485-1509), राज हेनरी अष्टम (Henry VIII, 1509-1547), महारानी एलिजाबेथ (Elizabeth 1558-1603),
राजा हेनरी सप्तम को इंग्लैण्ड के नवयुग का प्रतिनिधि कहा जाता है। अन्तर्राजवंशीय
वैवाहिक सम्बन्ध तथा सामाजिक चेतना के फलस्वरूप नवीन ज्ञान, जनशक्ति की वृद्धि, स्थायी सरकार की
स्थापना एवं वैधानिक विकास इस काल की प्रमुख विशेषतायें थीं।
1.
अन्तर्राजवंशीय
वैवाहिक सम्बन्ध : शक्ति का सौम्य साधन
1486
ई० में यॉर्क वंश के एडवर्ड चतुर्थ की पुत्री एलिजावेथ से विवाह कर हेनरी ने दोनों
घरानों के बीच चली आ रही संघर्ष एवं प्रतिद्वन्द्विता की भावना को समाप्त कर दिया।
स्पेन की राजकुमारी कैथरीन के साथ ज्येष्ठ पुत्र आर्थर का विवाह कर देने से
हैप्सबर्ग वंश के साथ हेनरी के सम्बन्ध दृढ़ हो गये। इसी प्रकार स्कॉटलैण्ड के
जेम्स चतुर्थ के साथ पुत्री मार्गरेट का विवाह भी स्कॉटलैण्ड और इंग्लैण्ड के
सम्बन्धों को दृढ़ बनाने में सहायक हुआ।
2.
समर्थक
वर्ग का सामाजिक विस्तार : मध्यम वर्ग का सहयोग
हेनरी
सप्तम ने सामन्तों के परम्परागत अधिकारों को कम करने के लिए 1487 ई० में एक कानून
बनाया गया ताकि अपराधी सामन्तों को दण्ड दिया
जा सके । निरंकुश राजतन्त्र को स्थापित करने के लिए राजा हेनरी सप्तम ने सामन्तों
के स्थान पर समाज के मध्यम वर्ग को प्रोत्साहन देना आरम्भ किया तथा दरबार में
सामन्तों के स्थान पर इस वर्ग के प्रतिनिधि अधिक संस्था में नियुक्त किये जाने
लगे। इस प्रकार यह मध्यम वर्ग राजा का समर्थक हो गया।
3.
धार्मिक
नीति : राष्ट्रीय चर्च तथा सहिष्णुता पर जोर
राजा
हेनरी अष्टम की धार्मिक नीति का आरम्भ मुख्य रूप से रानी कैथरीन को तलाक देने के
प्रश्न पर हुआ। हेनरी अष्टम ने पोप के साथ
सम्बन्ध-विच्छेद कर 'इंग्लैण्ड के चर्च' के नाम से नया चर्च स्थापित किया और राजनीति के
साथ-साथ धार्मिक अधिकार भी ग्रहण कर लिया। धर्म के सम्वन्ध में रानी एलिजावेथ ने
उदार धार्मिक व्यवस्था एवं उदार चर्च व्यवस्था का सिद्धान्त अपनाया। व्यक्तियों को
अपना धर्म चुनने का अधिकार था।
4.
आर्थिक
समृद्धि पर जोर : गृह नीति तथा विदेश नीति का लक्ष्य
हेनरी
सप्तम द्वारा साम्राज्य के वाणिज्य के विकास की ओर ध्यान दिया जाना था क्योंकि वह
इस तथ्य को जानता था कि व्यापार और वाणिज्य की उन्नति पर ही राज्य की समृद्धि
निर्भर करती है। इंग्लैण्ड में बनी वस्तुओं के निर्यात तथा नई व्यापारिक मण्डियों
की खोज के लिए हेनरी सप्तम ने अनेक देशों के साथ व्यापारिक संधियाँ कीं। जहाजरानी
उद्योग को प्रोत्साहन दिया। एलिजावेथ ने
इं औपनिवेशिक विस्तार की ओर ध्यान दिया । 1600 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की
स्थापना की गई जिसका मुख्य कार्य पूर्वी देशों तथा भारत के साथ व्यापार करना था।
5.
'शक्ति-सन्तुलन के सिद्धान्त' पर
आधारित विदेश नीति: कूटनीति
मुख्य
उद्देश्य इंग्लैण्ड को यूरोप में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाना और इंग्लैण्ड की
प्रतिष्ठा बढ़ाना था। हेनरी ने आक्रमण एवं अन्तर्राष्ट्रीय तथा अर्न्तवंशीय विवाह
दोनों ही प्रकार की नीतियाँ अपनायीं। राजा हेनरी अष्टम ने 'शक्ति-सन्तुलन के सिद्धान्त' (Balance of Power) की स्थिति बनाये रखने के लिए शक्तिशाली राज्यों के विरुद्ध
दुर्बल राज्यों को इंग्लैण्ड के द्वारा सहायता देने की नीति अपनायी। 'शक्ति-सन्तुलन' की इस नीति के अन्तर्गत
स्पेन और फ्रान्स के मध्य होने वाले संघर्ष में पहले तो फ्रान्स के विरुद्ध
इंग्लैण्ड ने स्पेन की सहायता की किन्तु 1513 ई० में स्थिति के बदलते ही हेनरी ने स्पेन का विरोध आरम्भ किया।
6.
सांस्कृतिक
प्रगति : सामाजिक चेतना का विस्तार
एलिजाबेथ
के शासनकाल में साहित्य एवं कला के क्षेत्र में अत्यधिक विकास हुआ। प्राचीन
बन्धनों को तोड़ कर नये संसार में प्रवेश पाने के लिए इस युग में इंग्लैण्ड के
साहित्य में जिस नयी प्रवृत्ति का जन्म हुआ, उसे 'एलिजाबेथ के युग का साहित्य' (Elizabethan Literature) कहा जाता है। इस युग के साहित्य की विशेषताएँ मस्तिष्क की
जागरुकता, आनन्दमय दृष्टिकोण, प्राचीन बन्धनों का त्याग, देश-भक्ति आदि थीं। इस
युग का सर्वप्रसिद्ध साहित्यकार विलियम शेक्सपियर (William
Shakespeare) एक कवि, नाटककार एवं उपन्यासकार
तीनों ही था। टॉमस बायर्ड इस युग का प्रसिद्ध संगीतकार था। इस साहित्यक प्रगति का
प्रभाव कला-कौशल पर भी पड़ा। वास्तुकला एवं चित्रकला का विकास हुआ। नये-नये भवनों
के निर्माण होने के कारण लन्दन इंग्लैण्ड का एक आकर्षक शहर बन गया।
संक्षेप
में, सम्पूर्ण
ट्यूडर वंश की समीक्षा के रूप में यह कहा जा सकता है कि 1485 ई०
से 1603 ई० के मध्य ट्यूडर वंशी शासकों ने वाह्य आक्रमणों से देश की
रक्षा कर तथा यूरोपीय राजनीति में सक्रिय भाग लेकर इंग्लैण्ड के गौरव तथा आन्तरिक
क्षेत्र में शान्ति एवं सुरक्षा की स्थापना कर देश को आर्थिक समृद्धि के मार्ग पर
आगे बढ़ाया ।
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