रविवार, 9 अगस्त 2020

इतिहास पर कहीं कही कुछ बातें..

जब मेरे दोस्त का उसकी पत्नी से तनाव होता है तो वह याद करता है कि ससुराल में उसकी पर्याप्त इज्ज़त नहीं होती है जबकि प्रेम के क्षणों में उसे मार्च अप्रैल का वह महीना याद आता है जब वह फूलों से लदे पार्क में पहली बार उससे मिला था और वह पीले रंग के सूट में किसी तितली सी दिखी थी हाँ उसकी नेलपॉलिश भी तो सुग्गा पंखिया थी।

गुस्से में याद आया कि यही नामुराद दोस्त था जो मेरी बाइक को तोड़ आया था लेकिन साथ में चाय की चुस्की लेते हुए मैंने याद किया कि कैसे उसने मेरी अनुपस्थिति में मेरी माँ को यह हॉस्पिटल ले गया था।

किसानों की बढ़ती आत्महत्याएं इतिहास के शोध की दिशा को उस तरफ मोड़तीं हैं जहाँ कृषि संरचना तथा वैश्वीकरण के प्रभावी शर्तों और उसके कारणों को उजागर करना जरुरी हो जाता है।

आध्यात्मिक डूबन की उपयोगितावादी प्रदत्त छवि से आच्छादित समाज से उबरने के लिए केपी जायसवाल इन्डियन पॉलिटी लिख कर स्व शासन के औचित्य को जोरदार तर्क प्रदान किया।

सामाजिक बुराइयों से दुःखी लोगों ने न सिर्फ इसके ख़िलाफ़ वैज्ञानिक तर्क दिए बल्कि बुराइयों के विपक्ष में पौराणिक तर्कों को भी ढूंढ निकाला।

कोरोना का दौर इतिहासकारों को महामारियों के इतिहास की तरफ मोड़ चुका है जहाँ ब्लैक डेथ से स्पेनिश फ्लू के दौर के सामाजिक राजनीतिक तथा चिकित्सकीय उपायों को ढूढ़ा जा रहा है।

चूँकि कोई भी इतिहास अपने समकालीन समय में ही लिखा जाता है क्योंकि इतिहासकार लिखते समय जीवित होता है और वह अपने समाज, समय, और परिस्थितियों का दास होता है जाने अनजाने वह समकालीन समय में घट रही घटनाओं से प्रभावित होता है अतः उसके लिखत पर समकालीनता का प्रभाव होता है। कार के शब्दों में इतिहास अतीत और वर्तमान तथा इतिहासकार और उसके तथ्यों के बीच संवाद है।

अतः क्रोचे का यह कथन कि सारा इतिहास समकालीन होता है सत्य प्रतीत होता है।


यह स्वीकार्यता इस कथन की सीमा से बंधा है, जिसके अनुसार "अतीत के विस्तार की कठिनाई को देखते हुए हमारा वह अतीत जिसका वर्तमान में महत्व है, इतिहास है।" अन्यथा इंसानी ज्ञान और समझ की सीमा के कारण कोई भी "सर्वव्यापी कथन" (यहाँ all शब्द का प्रयोग है) ज्ञान मिमांसीय तर्कशास्त्र में दोषपूर्ण ही माना जाता है। 

अतः उपेक्षित अतीत, सेंसर अतीत, और भविष्य में महत्वपूर्ण बन जाने वाला अतीत, आउट डेटेड अतीत इत्यादि कभी भी इतिहास की मुख्यधारा में आ सकते हैं। 

दरअसल इतिहास का "दस्तावेज़ी स्वरुप" इसका मुख्य अवयव और विशेषता है इसके अभाव में इतिहास शब्द की हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

दरअसल क्रोचे उस दौर का इतिहासकार है जब "व्याख्या" और "विचार" ऐतिहासिक "तथ्यों" पर हावी थे। तथ्यों को स्वतंत्र नहीं माना जा रहा था और कहा जा रहा था कि तथ्य हमेशा दिमाग से छन
कर आतें हैं। लेकिन इतिहासकारों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाले इस विचार का खुमार चिरस्थाई नहीं माना जा सकता।

अतः "सारा" इतिहास प्राथमिक रूप से "दस्तावेज़" है जो समकालीन होने के इंतज़ार में रहता है।

चूँकि संघर्षों, तनावों, टकरावों और युद्धों के परिणामों के उदाहरण और अनुभव यह दर्शातें हैं कि आधुनिक युद्धों के विभिन्न स्वरूपों में कोई विजेता नहीं होता बल्कि उत्तरजीवी होते हैं। 

 "अंतिम तक" के लक्ष्य से नियोजित समतावादी लोकतांत्रिक समाज की तरफ सकारात्मक विचलन के दौर  में, "विजेता" होना अब पहले जैसा गर्व की पूँजी सृजित नहीं करता बल्कि पराजितों और शिकारों की आवाजें जहाँ सहानुभूति पा रहीं हैं वहीँ उनके आख्यान सोशल और नई मिडिया के प्रसार प्रचार तंत्र के द्वारा तेज़ बयार का रूप धर हर जगह अपनी उपस्थिति से अनुभूति की उत्तेजना ही नहीं बल्कि इसकी मांग भी पैदा कर रहा है। जिसकी उपेक्षा करना या ख़ारिज करना किसी भी पेशेवर इतिहासकार के लिए एक गुमनामी का भय रच सकता है।

अतः बदलती परिस्थिति में ज्ञान की ख़ोज का उद्देश्य अपने लोकतान्त्रिक स्वरुप को प्राप्त कर चुका है। लाइक, शेयर और वायरल के एल्गोरिदम के दौर में दमन के तमाम आरोपण के बावजूद पराजितों के आख्यानों को बरबस विजेताओं के आख्यानों पर बढ़त हासिल होने वाली है।

History of Urdu Literature

  ·        Controversy regarding origin Scholars have opposing views regarding the origin of Urdu language. Dr. Mahmood Sherani does not a...