गुरुवार, 18 सितंबर 2014

संभावनाएं

संभावनाएं 
जो पनप  रहीं  हैं 
दिल की गहराइयों में 
खूबसूरत तथा मासूम हैं
पुलकित  करती  हैं
यह जान कर की 
तनहा हूँ 
छेड़तीं हैं 
ला  देती हैं 
आँखों में नीर 
होठों पे मुस्कान 
पर डर  जातीं हैं 
देख कर दुनियावी चाह 
रंगीनियत, बवंडर और बेवफाई 
मूल्यांकन 
आतुर हो जाता है 
मिटाने को इसका अस्तित्व 
अन्तर्द्वन्द 
उदासीनता को घोषित करता है 
कायरता 
पुनः
आवश्यकता और विकल्प 
जो खोज रहीं हैं 
रास्ता 
मंजिल का 
जो स्वप्निल है 
मगर वास्तविक भी 
जगा  देतीं हैं 
गतिशील बना देती है 
उस पथ पर 
जो कठोर तथा उबड़ खाबड़ है 
परे  है 
आसमानी उड़ान से 
जहाँ पंख भावनाओं के लगा 
हम उड़ा करतें हैं 
सहजता से 

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