वक्त भी उड़ता रहा है रेत ओ हवा की तरह,
साहिल पर बैठे तलबगारों को पता होगा।
जुर्रतें मेरी कम है मशविरा दे नहीं सकता
मगर अरसे के बाद यारों को पता होगा।
अय्याशियों से तज़रबा नही बढता,
जीने का कोई और तरीका दयारों को पता होगा।
खो जाती हैं दिमागी हलचलें,
लुफ्ते दिल का नशा पैमानों को पता होगा।
होश की ताकत कहाँ की खलल डाले,
इसकी फितरत शामे बाजारों को पता होगा।
यूँ तो शराबी से बेहतर कोई इसां नहीं,
मगर कितने लौटे होश में चौबदारों को पता होगा।।....
..............…........................श्रीप्रकाश पाण्डेय
शुक्रवार, 1 जनवरी 2016
पता होगा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
व्यावसायिक क्रांति का महत्त्व
व्यावसायिक क्रांति, जो 11वीं से 18वीं शताब्दी तक फैली थी, यूरोप और पूरी दुनिया के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को बदलने में अत्यंत म...
-
सुल्तान की शक्ति में वृद्धि करने तथा अमीरों को नियन्त्रण में लाने के लिए सिकन्दर ने कठोर नीति अपनायी। इसके लिए उसने राजत्व के स्वरूप में ही ...
-
Introduction Historians are not unanimous regarding the factors that led to the Revolution of 1789 in France. To some extent, the Revolut...
-
The term Ancien Regime was commonly used by journalists and politicians in France after 1789, to refer to the situation in pre-revolutionary...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें