वक्त भी उड़ता रहा है रेत ओ हवा की तरह,
साहिल पर बैठे तलबगारों को पता होगा।
जुर्रतें मेरी कम है मशविरा दे नहीं सकता
मगर अरसे के बाद यारों को पता होगा।
अय्याशियों से तज़रबा नही बढता,
जीने का कोई और तरीका दयारों को पता होगा।
खो जाती हैं दिमागी हलचलें,
लुफ्ते दिल का नशा पैमानों को पता होगा।
होश की ताकत कहाँ की खलल डाले,
इसकी फितरत शामे बाजारों को पता होगा।
यूँ तो शराबी से बेहतर कोई इसां नहीं,
मगर कितने लौटे होश में चौबदारों को पता होगा।।....
..............…........................श्रीप्रकाश पाण्डेय
लेबल
शुक्रवार, 1 जनवरी 2016
पता होगा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Peter the Great (1682-1725): The Architect of Modern Russia
Peter I, known as Peter the Great, was the grandson of Mikhail Romanov. He is called the "Father of Modern Russia" because he lai...
-
Challenges before Qutbuddin Aibek The circumstances in which he started discharging the administrative responsibility of India were very u...
-
Origin and meaning of term ‘Renaissance’ Georgio Vasari (1511-74), an Italian historian of arts in the sixteenth century, used the term ...
-
कुतुबुद्दीन ऐबक के समक्ष चुनौतियाँ जिन परिस्थितियों में उसने भारत के प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन करना प्रारम्भ किया था , वे नितान्त प्रति...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें