बुधवार, 5 मार्च 2025

पीटर द ग्रेट (1682-1725): रूस का आधुनिक निर्माता


पीटर प्रथम, जिसे पीटर द ग्रेट के नाम से जाना जाता है, मिखाइल रोमानोव का पोता था। उसे "आधुनिक रूस का पिता" कहा जाता है, क्योंकि उसने रूसी इतिहास में एक नए युग की नींव रखी। उसने राजशाही की केंद्रीकरण नीति, सैन्य सुधार, पश्चिमीकरण, धार्मिक नियंत्रण और विस्तारवादी विदेश नीति के ज़रिए रूस को एक मज़बूत और आधुनिक राज्य में बदल दिया।

रूस की स्थिति एवं चुनौतियाँ

जब पीटर रूस की गद्दी पर बैठा, तो रूस भौगोलिक दृष्टि से यूरोपीय था, लेकिन उसकी संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन और सोचने का तरीका पूरी तरह से एशियाई देशों की तरह था। पश्चिमी यूरोप से उसका ईसाई धर्म के नाम पर संबंध तो था, लेकिन रूसी ईसाई धर्म (ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च) स्थानीय प्रभाव में संकीर्ण हो चुका था।

रूस की सीमाएँ विस्तृत तो थीं, लेकिन चारों तरफ से बंद जैसी थीं:

  • उत्तर में – 9 महीने बर्फ़ जमी रहती थी।
  • दक्षिण मेंतुर्की और फारस के कारण मार्ग अवरुद्ध थे।
  • पूर्व मेंघने जंगल थे, जिनसे उपयोगी रास्ते नहीं निकल सकते थे।
  • पश्चिम मेंपोलैंड और स्वीडन के महत्वाकांक्षी शासक रूस पर नजर गड़ाए रहते थे।

धार्मिक प्रधान (पैट्रिआर्क) केवल चर्च ही नहीं, बल्कि रूसी जीवन के हर क्षेत्र पर प्रभाव रखते थे। जार के अंगरक्षक (Streltsy) और सामंतों (Boyars) की सभा राजनीति के आधार स्तंभ थे। ऐसी स्थिति में रूस एक पिछड़ा हुआ, सीमित, दकियानूसी और जड़ समाज था।

सुधार के लिए पीटर की दृष्टि

पीटर ऐसी परिस्थितियों को बदलने के लिए उत्सुक था। उसने निर्णय लिया कि रूस का कल्याण उसके पाश्चात्यकरण (Westernization) में है। उसने यूरोप के देशों के साथ रूस के निकटतम संबंध स्थापित करने का संकल्प लिया।

रूस की बंद सीमाओं को खोलने के लिए उसने रूस की सीमाओं को पश्चिम में बाल्टिक सागर और दक्षिण में काला सागर तक विस्तारित करने की आवश्यकता समझी। इसी नीति को "गर्म पानी की तलाश" (Warm Water Policy) कहा जाता है, जिसका अर्थ था ऐसे समुद्री मार्ग, जहाँ बर्फ न जमती हो और जो पूरे साल उपयोग किए जा सकें।

इसके अलावा, वह समझता था कि जब तक शक्तिशाली और निरंकुश राजतंत्र की स्थापना नहीं होगी, यह उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। वह जीवनभर इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति में लगा रहा और उसे सफलता भी मिली।

                 पीटर की गृह नीति : रूस के पुनर्निर्माण की योजना

यूरोप की गुप्त यात्रा (1697-98)

रूस के आधुनिकीकरण से पहले, पीटर ने यूरोप की गुप्त यात्रा की। वह हॉलैंड, इंग्लैंड, और प्रशा गया, जहाँ उसने आधुनिक जहाज निर्माण, सैन्य रणनीतियाँ, विज्ञान और प्रशासनिक व्यवस्था का अध्ययन किया। हॉलैंड में उसने जहाज निर्माण की कला सीखी। इंग्लैंड में उसने आधुनिक सेना और नौसेना का महत्व समझा। ऑस्ट्रिया और प्रशा में राजनीतिक प्रशासन और औद्योगीकरण का गहन अध्ययन किया। यात्रा के दौरान वह विदेशी इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, और तकनीशियनों को रूस लाने में सफल हुआ। हालांकि, इसी दौरान रूस में उसकी सेना ने विद्रोह कर दिया, जिससे वह जल्दबाज़ी में वापस लौटा और सुधारों की प्रक्रिया शुरू की।

विद्रोह का दमन और शक्तिशाली सेना का निर्माण

जब वह यूरोप में था, तो रूस की शाही सेना (स्ट्रेलत्सी) ने विद्रोह कर दिया। लौटते ही उसने कड़ा दमन किया—हज़ारों सैनिकों को मौत की सजा दी गई और उनके परिवारों को निर्वासित किया गया। उसने पुरानी सेना को हटाकर एक नई, अनुशासित और आधुनिक सेना बनाई, जिसमें नए रंगरूटों और पेशेवर अधिकारियों को शामिल किया गया। रूस की पहली नौसेना का गठन किया गया, जो आगे चलकर रूस के विस्तारवादी सपनों को साकार करने में मददगार साबित हुई।

चर्च पर नियंत्रण और धार्मिक सुधार

रूस का चर्च अत्यधिक शक्तिशाली था और शासक के नियंत्रण से बाहर था। 1700 में, जब पैट्रिआर्क की मृत्यु हुई, तो पीटर ने नए पैट्रिआर्क की नियुक्ति नहीं की। चर्च का नियंत्रण राजा के हाथ में चला गया और 1721 में 'होली सिनोड' नामक संस्था बनाई गई, जो चर्च का प्रशासन देखती थी। धार्मिक स्वतंत्रता की थोड़ी छूट दी गई, लेकिन चर्च को पूरी तरह से राजशाही के अधीन कर दिया गया।

प्रशासनिक सुधार और केंद्रीकरण

पीटर फ्रांस के राजा लुई XIV से प्रभावित था और उसने रूस में सत्तावादी शासन लागू किया। संसद (Duma) समाप्त कर दी गई और राजा के प्रति वफादार नौकरशाही की स्थापना की गई। रूस को 8 प्रांतों और 50 जिलों में बाँटा गया, जिससे प्रशासन अधिक कुशल हुआ। नए अभिजात वर्ग (nobility) को जन्म दिया, जो पूरी तरह से शाही सत्ता पर निर्भर था।

 पश्चिमी करण (Westernization) और सामाजिक सुधार

पीटर रूस को पश्चिमी यूरोप जैसा बनाना चाहता था, इसलिए उसने सामाजिक सुधार लागू किए: लंबी दाढ़ी पर प्रतिबंध लगाया और जो इसका उल्लंघन करता, उसे कर (tax) देना पड़ता। पश्चिमी शैली के कपड़े अनिवार्य किए गए। महिलाओं को घरों की चहारदीवारी से निकालकर समाज में भाग लेने की अनुमति दी गई। तंबाकू के सेवन को अनिवार्य किया, जो यूरोपीय संस्कृति का प्रतीक माना जाता था। शाही दरबार में फ्रांसीसी रीति-रिवाजों को अपनाया गया और सांस्कृतिक जीवन को पश्चिमी ढंग से ढाला गया।

आर्थिक और औद्योगिक सुधार

रूस की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी, लेकिन पीटर ने उद्योग और व्यापार को बढ़ावा दिया। सरकारी नियंत्रण में उद्योग स्थापित किए गए—लोहे, धातु, हथियार निर्माण और जहाज निर्माण को बढ़ावा दिया गया। रूस में बैंकिंग प्रणाली और व्यापारिक करों को लागू किया गया। मध्यवर्ग (bourgeoisie) को बढ़ावा दिया गया, जिससे रूस में नवीन आर्थिक चेतना आई।

शिक्षा और विज्ञान का विकास

पीटर को समझ में आया कि शिक्षा के बिना आधुनिकीकरण संभव नहीं। उच्च वर्गों के लिए स्कूल और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। विदेशी भाषाओं (खासतौर पर फ्रेंच) को अनिवार्य किया गया। रूस की पहली विज्ञान अकादमी (Academy of Sciences) और पहला समाचार पत्र शुरू किया गया। तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा पर जोर दिया गया, जिससे रूस आधुनिक युग में प्रवेश कर सका।

नई राजधानी 'सेंट पीटर्सबर्ग' की स्थापना

पीटर ने मास्को को नापसंद किया क्योंकि यह पुराने रूस का प्रतीक था। उसने बाल्टिक सागर के किनारे नेवा नदी के तट पर सेंट पीटर्सबर्ग नामक नई राजधानी बसाई। इसे "पश्चिम की खिड़की" (Window to the West) कहा गया, क्योंकि यह यूरोपीय संस्कृति और व्यापार का केंद्र बना।

निष्कर्ष

पीटर द ग्रेट रूस के सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक था। उसकी नीतियों ने रूस को यूरोपीय ताकतों की श्रेणी में खड़ा कर दिया। पीटर द ग्रेट की दो मुख्य नीतियाँ थीं – निरंकुश राजतंत्र की स्थापना और पश्चिमीकरण। पहला उद्देश्य समय के साथ प्रतिगामी साबित हुआ, लेकिन दूसरा रूस को आधुनिक बनाने में सफल रहा। आज का आधुनिक रूस पीटर द ग्रेट की नीतियों की नींव पर खड़ा है।

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