हर नई कहानी,
क्यों बदल देना चाहती,
आने वाली जीवन कहानी।
हर नई कविता,
क्यों बेताब कर देती,
अपने सुर में गानें को।
हर नई नसीहत,
क्यों परिवर्तित कर देती,
हर पुरानी सिख।
विचारों का ये परिवर्तन,
बोझिल करता मेरा मन,
किस राह चलू मैं।
हर राहें राहों से भरी पड़ी,
हर राहों से गुजरते लोग,
जीवन के हर रंग को जीते लोग।
मैं जब किसी राह पर कदम बढ़ाऊं,
सकुचाते शरमाते,
नई राह मुझको ललचाती।
सिद्धान्तों का ये अस्थिरतापन,
पन्नों में दबी टेढ़ी मेढ़ी स्याह लकीरों का आदर्श,
इनको बदल देना चाहता जीवन का अनुभव।
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