बुधवार, 10 अप्रैल 2024

अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष या क्रांति का परिणाम





अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष का वास्तविक महत्व न तो स्पेन या फ़्रांस के प्रादेशिक लाभों, न हालैंड की व्यापारिक क्षतियों तथा न इंग्लैंड के साम्राज्य की अवनति में ही थी। वरन इसकी वास्तविक महत्ता अमेरिकी क्रांति के सफल संपादन में थी। अमेरिका की क्रांति विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाओं में से एक है। इस क्रांति का महत्व कई दृष्टियों से आका जा सकता है। आधुनिक मानव प्रगति में अमेरिका की क्रांति को एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा सकता है। इस क्रांति के फलस्वरूप नई दुनिया में न केवल एक राष्ट्र का जन्म हुआ वरन मानव जाति की दृष्टि से एक नए युग का भी आरंभ हुआ।

1.    अमेरिका पर प्रभाव

इस क्रांति ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनीतिक जीवन को एक नया मोड़ दिया। इसने वहां के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का कायापलट कर दिया। क्रांति के द्वारा अमेरिकी जनता को एक परिवर्तित सामाजिक अवस्था प्राप्त हुई जिसमें परंपरा और विशेषाधिकार का महत्व कम था और मानवीय समानता का महत्व ज्यादा था। इसने पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की बाधाओं को दूर करके उद्योग, शिक्षा, कृषि, व्यापार, विज्ञान, तकनिकी इत्यादि में विकास और नवोन्मेष के नए कीर्तिमान स्थापित किये तथा आगे चलकर एक सुपर पावर राष्ट्र का निर्माण हुआ।

2.   इंग्लैंड पर प्रभाव

अमेरिकी क्रांति ने दैवी अधिकार पर आधारित राजतंत्र तथा कुलीनतंत्रीय एकाधिकार पर घातक प्रहार किया। युद्ध के बाद इंग्लैंड की संसद में राजा के अधिकारों को कम करने की जोरदार मांग उठने लगी। उसी समय डर्निंग नामक प्रतिनिधि ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में प्रस्ताव पेश किया कि राजा का अधिकार बढ़ गया है, और बढ़ रहा है, उसका कम होना आवश्यक है। अतः सुधारों  की एक श्रृंखला ने कैबिनेट प्रणाली के महत्व को बढ़ा दिया।

3.   फ़्रांस पर प्रभाव

अमेरिका से लौटकर आने वाले फ्रांसीसी अधिकारियों ने अमेरिका के अनुभव को लिखा। लफायत ने विशेष रूप से अमेरिकी क्रांति की भावना को फ़्रांसिसी जनमानस तक पहुंचाया। फ्रांसीसी समाज में अमेरिकी लेखक एवं दार्शनिक फ्रैंकलिन का विशेष महत्त्व था। उसकी लेखनी ने फ्रांस के दार्शनिकों को प्रभावित किया तथा अमेरिकी क्रांति ने फ्रांसीसी क्रांति का रास्ता खोला। फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य सिद्धांत स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का मूल अमेरिकी संघर्ष में निहित था।

4.   आयरलैंड पर प्रभाव

उस समय आयरलैंड की जनता भी अपनी आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए इंग्लैंड के विरुद्ध संघर्ष कर रही थी। अमेरिकी क्रांति की सफलता को आयरलैंड की जनता ने स्वागत किया तथा प्रेरणा प्राप्त की। इस प्रकार आयरलैंड की जनता ने भी इंग्लैंड के द्वारा लगाए गए टैक्स को चुनौती दी । अंततः इंग्लैंड ने आयरिश जनता की अधिकांश मांगें मान लीं।

5.   भारत पर प्रभाव

भारत पर अमेरिका की क्रांति का तत्कालीन प्रभाव प्रतिकूल रहा। अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के काल में जब फ्रांस ने युद्ध में प्रवेश किया तो भारत में अंग्रेज और फ्रांसीसियों  में युद्ध की परिस्थितियां उत्पन्न हो गईं। जिससे लाभ उठाकर अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों  की शक्ति को भारत में क्षति पहुंचाई तथा अपने साम्राज्य विस्तार के मार्ग को सुलभ बना लिया।

6.   वाणिज्यवादी सिद्धांतों का परित्याग

अमेरिकी क्रांति का महत्व इस संदर्भ में भी है कि इंग्लैंड के इस उपनिवेश के हाथ से निकल जाने से वाणिज्यवादी सिद्धांतों को आघात पहुंचा। अब तक उपनिवेश का आर्थिक शोषण करना ही मुख्य लक्ष्य था। साथ ही अभी तक आर्थिक गतिविधियों पर राज्य का नियंत्रण था लेकिन अब इस वाणिज्यवादी सिद्धांत को धक्का लगा तथा खुले व्यापार या खुली अर्थव्यवस्था के सिद्धांत पर जोर दिया जाने लगा। एडम स्मिथ की पुस्तक वेल्थ ऑफ नेशन के आने के बाद खुली अर्थव्यवस्था के सिद्धांत को और सहमति मिली।

7.   अमेरिकी क्रांति का वैश्विक प्रभाव

क्रांति के पश्चात जन्मे नए अमेरिका ने गणतंत्र, जनतंत्र, संघवाद और संविधानवाद जैसे चार राजनीतिक आदर्शों को दुनिया के समक्ष रखा। ऐसा नहीं था कि दुनिया इन शब्दों से पहले कभी परिचित ही नहीं रही हो परंतु अमेरिका ने एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया। गणतंत्र जैसी राजनीतिक शब्दावली केवल स्मृतियों में रह गई थी किंतु अमेरिका ने ऐसी शब्दावली को जीवंतता प्रदान की। यह अमेरिकी क्रांति का सबसे बड़ा प्रदेय माना जाना चाहिए। अमेरिका ने प्रतिनिधि सरकार की एक सशक्त एवं विकसित प्रणाली दुनिया के सामने रखी। 

निष्कर्ष

इस प्रकार “प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं” के नारे में अभिव्यक्त अमेरिकी क्रांति ने औपनिवेशिक अर्थतंत्र की मीमांसा के द्वारा औपनिवेशिक निर्भरता के बंधन को तोड़कर न केवल स्वतंत्र मार्ग के लिए उपनिवेश को प्रोत्साहित किया बल्कि उन्हें समान संस्कृति तथा समान जरूरत के आधार पर एक राष्ट्र के तौर पर स्थापित होने का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसने उस कथन को भी चरितार्थ किया कि “उपनिवेश उन फलों के समान है जो परिपक्व होते ही डाली से अलग हो जाते हैं”। इसने  बहुसंस्कृतिवाद, गणतंत्र, जनतंत्र, संघवाद तथा संविधानवाद का मंत्र भी दिया जिससे राष्ट्र की एकता बनी रहती है तथा नागरिक अधिकार सुरक्षित रहते हैं।

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