आरम्भिक स्थिति
सोलहवीं
शताब्दी के प्रारम्भ में नीदरलैण्ड्स के अन्तर्गत सत्रह प्रान्त थे जिनमें आपस में
भिन्नता थी। क्योंकि ये प्रदेश समुद्र की सतह से बहुत नीचे स्थित थे इस कारण
इन्हें निचले-प्रदेश के नाम से भी सम्बोधित किया जाता था। इनमें
उत्तर के सात प्रान्तों के लोग 'डच'
कहलाते थे तथा इन उत्तरी
प्रान्तों में हॉलैण्ड तथा जीलैण्ड प्रधान थे। मध्य के ब्रेवांट तथा फ्लैंडर्स
प्रान्तों के निवासी 'फ्लेमिंग्स'
कहलाते थे जो मुख्यतः
ट्यूटानिक जाति के थे। दक्षिण के प्रान्तों में नामूर, हेनो, आर्त्वा
आदि प्रधान थे जिनमें 'केल्ट'
जाति के लोग निवास करते थे
जो 'वेलून्स' (Walloons) कहलाते
थे। इस प्रकार जाति, भाषा, रहन-सहन आदि सभी दृष्टियों से नीदरलैण्ड्स के
प्रान्तों में विभिन्नता थी।
चार्ल्स पंचम का दौर
जब
चार्ल्स पंचम नीदरलैण्ड्स का शासक वना तो उसने नीदरलैण्ड्स के प्रशासन को सुदृढ़
करने के लिये तीन केन्द्रीय परिषदों की स्थापना की जिनमें 'राज्य
परिषद' अत्यधिक महत्वपूर्ण थी। नीदरलैण्ड्स के मध्य में स्थित
ब्रसेल्स राजधानी घोषित की गयी। प्रान्तों के राजस्व एवं सामान्य हितों की रक्षा
के लिये 'स्टेट्स जनरल'
नामक एक संसद की स्थापना की
गयी जिसमें प्रान्तीय परिषदों के प्रतिनिधि होते थे। इस प्रकार सम्राट चार्ल्स
पंचम ने नीदरलैण्डस के प्रशासन को संगठित करने का प्रयत्न किया। इसके अतिरिक्त
नीदरलैण्ड्स के फ्लैन्डर्स प्रान्त में जन्म होने के कारण उसका शासन जनप्रिय था और
उसने नीदरलैण्ड्स में राष्ट्रीय शासक के रूप में शासन किया। सम्राट चार्ल्स पंचम
ने नीदरलैण्ड्स में धर्मसुधार आन्दोलन के विरुद्ध दमन नीति अपनायी तथा
प्रोटेस्टेन्टवाद के प्रसार को रोकने का प्रयास किया। प्रोटेस्टेन्टों के दमन के
लिये उसने धार्मिक न्यायालयों का भी प्रयोग किया किन्तु उसके शासनकाल में
नीदरलैण्ड्सवासियों ने उसका सामूहिक विरोध न किया।
फिलिप द्वितीय का दौर
सम्राट
चार्ल्स पंचम के पुत्र फिलिप द्वितीय के सिंहासनारोहण के पश्चात् स्थिति में
परिवर्तन आया क्योंकि राजा फिलिप द्वितीय के जन्म से स्पेनी होने के कारण
नीदरलैण्ड्स के निवासी उसे विदेशी समझते थे। अब उनमें राजा फिलिप द्वितीय के प्रति
वह सहानुभूति न थी जो सम्राट चार्ल्स पंचम के प्रति थी। दूसरी ओर राजा फिलिप
द्वितीय को भी नीदरलैण्ड्स के निवासियों कीआवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं के प्रति कोई
सहानुभूति न थी। उसने नीदरलैण्डसवासियों के हितों की उपेक्षा करते हुए प्रशासकीय
एवं आर्थिक नीति का अनुसरण किया। उसने नीदरलैण्ड्स के व्यापार-वाणिज्य पर
प्रतिबन्ध लगाये तथा प्रोटेस्टेन्टवादी प्रान्तों के विरुद्ध दमन नीति अपनायी। अतः
बाध्य होकर नीदरलैण्ड्स वासियों ने राजा फिलिप द्वितीय की इन नीतियों के विरुद्ध
विद्रोह कर दिया।
विद्रोह के कारण
नीदरलैण्ड्सवासियों
ने आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक,
वैयक्तिक आदि निम्नलिखित
कारणों से उत्तेजित होकर स्पेन के शासक फिलिप द्वितीय के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह
कर दिया।
1.
आर्थिक
कारण
नीदरलैण्ड्स
की समृद्धि एवं वैभव के प्रमुख आधार उद्योग-धन्धे एवं व्यापार-वाणिज्य थे। सम्राट
चार्ल्स पंचम के शासनकाल में ही नीदरलैण्ड्स पर करों के भार में वृद्धि हो गयी थी।
किन्तु ‘स्टेट्स जनरल' नामक वहाँ की संसद द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो
जाने के कारण इस कर-वृद्धि का सामूहिक विरोध न हो सका। इसके अतिरिक्त सम्राट
चार्ल्स पंचम ने अपने शासनकाल में नीदरलैण्ड्स के उद्योग-धन्धों एवं
व्यापार-वाणिज्य को प्रोत्साहन प्रदान कर उन्हें उन्नतिशील बनाने का भी प्रयास
किया था। सम्राट चार्ल्स पंचम के इस प्रयास के कारण नीदरलैण्ड्स में उसके शासन की
लोकप्रियता बनी रही। किन्तु उसके पश्चात् राजा फिलिप द्वितीय ने स्पेनी साम्राज्य
के प्रशासकीय व्यय एवं युद्धों के संचालन के लिये धन-प्राप्ति के उद्देश्य से
नीदरलैण्ड्स में करों की वृद्धि कर दी। परन्तु इस बार 'स्टेट्स
जनरल' नामक संसद ने स्पेन के इन युद्धों के लिये धन की स्वीकृति
प्रदान करने से इन्कार कर दिया और कहा कि इन युद्धों से नीदरलैण्ड्स का कोई
सम्बन्ध नहीं है। इसके अतिरिक्त राजा फिलिप द्वितीय द्वारा नीदरलैण्ड्स के
व्यापार-वाणिज्य पर लगाया गया प्रतिवन्ध भी नीदरलैण्ड्सवासियों को असह्य था, क्योंकि
इन प्रतिबन्धों से नीदरलैण्ड्स का आर्थिक एवं औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो गया था।
अतः नीदरलैण्ड्स के निवासियों ने राजा फिलिप द्वितीय की इस आर्थिक नीति का पहले
विरोध किया और विद्रोह कर दिया।
2.
धार्मिक
कारण
सम्राट
चार्ल्स पंचम के शासनकाल से ही नीदलैण्ड्स में धर्मसुधार आन्दोलन का प्रभाव तेजी
से बढ़ रहा था। उसने कैथोलिक धर्म की रक्षा एवं प्रोटेस्टेन्टवाद के दमन के लिये धार्मिक
न्यायालयों का प्रयोग किया किन्तु सम्राट चार्ल्स पंचम के धार्मिक न्यायालयों के
अत्याचार के द्वारा भी प्रोटेस्टेन्टवादियों के उत्साह में कमी नहीं आयी, वरन्
कैल्विनवाद का प्रचार और तीव्रगति से होने लगा। सम्राट चार्ल्स पंचम के पश्चात्
फिलिप द्वितीय नीदरलैण्ड्स का शासक हुआ एक कट्टर कैथोलिक था। उसके लिये उसके राज्य
में प्रोटेस्टेन्टवाद का प्रसार असह्य था। अतः उसने नीदरलैण्ड्स से
प्रोटेस्टेन्टवाद को समूल नष्ट करने का संकल्प किया। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु
उसने नीदरलैण्ड्स में मनोनीत विशपों तथा आर्चबिशपों की संख्या एवं उनके अधिकारों
में वृद्धि कर दी। उसने धार्मिक न्यायालयों को प्रोटेस्टेन्टवाद के विरुद्ध एक
प्रमुख अस्त्र के रूप प्रयोग किया। इन धार्मिक न्यायालयों के अत्याचार से
प्रोटेस्टेन्ट तो पीड़ित थे ही किन्तु उनके में साथ अब कैथोलिक भी इन नयायालयों
द्वारा की जाने वाली अधार्मिकता के विरोधी हो गये। राजा फिलिप द्वितीय अपनी इस
नीति में तनिक भी संशोधन के लिये प्रस्तुत न था और उसने लोगों की माँगों की ओर कोई
ध्यान न दिया। परिणामस्वरूप प्रोटेस्टेन्टों ने अपनी धार्मिक स्वतन्त्रता की रक्षा
लिये विद्रोह कर दिया।
3.
राजनीतिक
कारण
नीदरलैण्ड्स
के विद्रोह के कारणों में राजनीतिक कारण भी प्रमुख था। राजा फिलिप द्वितीय ने शासन
के केन्द्रीयकरण के उद्देश्य से सामन्तों एवं नगरों के अनेक परम्परागत अधिकार
समाप्त कर दिये। उसने 'स्टेट्स जनरल'
नामक संसद की बैठक बुलाना भी
बन्द कर दिया तथा इसकी स्वीकृति के विना ही उसने नीदरलैण्ड्सवासियों को अनेक करों
के भार से लाद दिया जो कि इसके लिये तत्पर न थे। उसने नीदरलैण्ड्स के सामन्तों एवं
अन्य नागरिकों को शासन के प्रभावशाली पदों से हटा दिया तथा उनके स्थान पर
स्पेनियों को नियुक्त करना प्रारम्भ किया। इस प्रकार राजा फिलिप द्वितीय का
विदेशीपन वहाँ के लोगों के असन्तोष का कारण वना। नीदरलैण्ड्स के शासन का भार उसने
अधिकांश स्पेनी पदाधिकारियों के हाथों में छोड़ दिया था तथा 1559 ई० के पश्चात वह
स्वयं कभी नीदरलैण्ड्स न गया। उसके स्पेनी पदाधिकारियों ने नीदरलैण्ड्सवासियों के
हितों की उपेक्षा की तथा वहाँ अत्याचार प्रारम्भ कर दिया। अतः नीदरलैण्ड्सवासियों
में घोर असन्तोष व्याप्त हो गया और उन्होंने विद्रोह कर दिया।
4.
सैनिक
कारण
इसके
अतिरिक्त नीदरलैण्ड्स में स्पेनी सेना की उपस्थिति भी विद्रोह का एक कारण बनी। सन्
1559 ई० में स्पेन तथा फ्रान्स के मध्य होने वाले युद्धों में स्पेनी सेनायें
नीदरलैण्ड्स आयी थीं। परन्तु युद्ध समाप्त होने के पश्चात भी ये सेनायें स्पेन
वापस न जाकर नीदरलैण्ड्स के विभिन्न नगरों में बनी रहीं जिनका व्यय वहाँ की जनता
को वहन करना पड़ता था। इससे नीदरलैण्ड्सवासियों में घोर असन्तोष फैला और उनके लिए
सेना का आर्थिक भार अधिक समय तक उठाना असह्य हो गया। परिणामस्वरूप उन्होंने राजा
फिलिप द्वितीय की इस नीति का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया। अन्त में कुछ समय
पश्चात राजा फिलिप द्वितीय ने उनके विरोध से प्रभावित होकर नीदरलैण्ड्स से अपनी
सेना वापस बुला ली।
5.
व्यक्तिगत
कारण
नीदरलैण्ड्स
में सम्राट चार्ल्स पंचम का शासन लोकप्रिय था। इसका कारण यह था कि वह नीदरलैण्ड्स
के फ्लैण्डर्स प्रान्त में पैदा हुआ था तथा वहाँ के लोग उसे एक नीदरलैण्ड्सवासी की
दृष्टि से ही देखते थे। यही कारण था कि सम्राट चार्ल्स पंचम समस्त नीदरलैण्ड्स में
एक राष्ट्रीय शासक के रूप में माना जाता था। परन्तु उसके पुत्र राजा फिलिप द्वितीय
का जन्म एवं पालन-पोषण स्पेन में होने कारण नीदरलैण्ड्स में उसे वह स्थान नहीं
प्राप्त हो सका। नीदरलैण्ड्स के निवासी राजा फिलिप द्वितीय को एक विदेशी समझते थे।
राजा फिलिप द्वितीय के हृदय में भी नीदरलैण्ड्स के निवासियों के प्रति कोई
सहानुभूति न थी जिसके कारण वह नीदरलैण्ड्स में लोकप्रिय न हो सका और लोगों ने उसका
विरोध करना प्रारम्भ कर दिया जो भविष्य में विद्रोह के रूप में परिणत हो गया।
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