शनिवार, 1 अप्रैल 2023

स्पेन के पतन के कारण


स्पेनी साम्राज्य के चरमोत्कर्ष का काल निःसन्देह फिलिप द्वितीय के शासन काल का पूर्वार्द्ध काल था। चार्ल्स पंचम से विरासत में प्राप्त स्पेनी साम्राज्य फिलिप द्वितीय की शक्ति का प्रतीक था। इस समय स्पेनी साम्राज्य में कई यूरोपीय प्रदेश एवं अमरीकी उपनिवेश थे। यही नहीं, सम्पूर्ण यूरोप में हैप्सबर्ग वंश की प्रतिष्ठा के रूप में स्पेनी साम्राज्य स्वयंसिद्ध था। इतना सब कुछ होते हुए भी फिलिप द्वितीय के शासनकाल के उत्तरार्द्ध से ही स्पेनी साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया और 1665 ई. में फिलिप चतुर्थ की मृत्यु के साथ ही स्पेन का गौरव यूरोपीय राजनीति में लुप्त हो गया। संक्षेप में, स्पेनी साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों को निम्नवत् इंगित किया जा सकता है :

1.   स्पेनी साम्राज्य का ढांचा

स्पेनी साम्राज्य की विशालता उसके पतन के लिए निःसन्देह घातक सिद्ध हुई। उसके प्रभाव क्षेत्र के अन्तर्गत कई यूरोपीय देश, अमरीकी उपनिवेश एवं भूमध्य सागर व एटलाण्टिक महसागर थे। अतः संस्कृति, भाषा, धर्म, शासन पद्धति, जातीयता, रीति-रिवाज, परम्पराओं एवं ऐतिहासिक आदि में स्पेनी साम्राज्य के अन्तर्गत आने वाले राज्यों में पर्याप्त असमानता थी। एक तो यह स्थिति थी दूसरी ओर साम्राज्य का स्वरूप भी राष्ट्रीय न होकर राजवंशीय था। अतः समय-समय पर साम्राज्य में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती रहती थीं। धर्म-सुधार आन्दोलन, फ्रांस-स्पेनी युद्ध, तुर्कों की आक्रामक नीति, इंग्लैण्ड की स्पेन विरोधी नीति तथा नीदरलैण्ड्स का विद्रोह इसी प्रकार की समस्याएं थीं।

2.  फिलिप द्वितीय के अयोग्य उत्तराधिकारी

फिलिप द्वितीय का पुत्र फिलिय तृतीय (1598-1621) का शासनकाल आर्थिक विपन्नता का काल सिद्ध हुआ। इसका सबसे बड़ा कारण उसका अपने प्रिय लोगों के हाथों का खिलौना बन जाना था। वह स्वयं भी अयोग्य एवं निर्बल शासक था। फिलिप चतुर्थ (1621-1665) का काल तो तीसवर्षीय युद्ध की लपेटों में झुलस गया था वह स्वयं तो अयोग्य था ही साथ ही डचों व पुर्तगालियों के स्वतन्त्रता संघर्ष ने स्पेनी साम्राज्य को चुनौती दी। निःसन्देह उसका काल स्पेनी साम्राज्य रूपी सूर्य के अवसान का काल ही था। उसके उत्तराधिकारी चार्ल्स द्वितीय का काल (1665-1700) स्पेनी साम्राज्य में 'राजवंशीय अराजकता' के काल के नाम से जाना जाता है। चार्ल्स द्वितीय अयोग्य एवं दुर्बल तथा अल्प-बुद्धि वाला शासक था। इस प्रकार फिलिप द्वितीय के पश्चात् स्पेनी साम्राज्य को किसी भी योग्य शासक का नेतृत्व प्राप्त न हुआ जो कि स्पेनी साम्राज्य को आने वाली भयंकर विपदाओं से राहत दिलाता। अतः यह कथन सत्य ही प्रतीत होता है कि, “चार्ल्स पंचम एक महान् योद्धा एवं शासक था। फिलिप द्वितीय केवल एक शासक था। फिलिप तृतीय एवं फिलिप चतुर्थ शासक भी नहीं थे और चार्ल्स द्वितीय (फिलिप द्वितीय की दूसरी पत्नी से उत्पन्न) एक मनुष्य भी नहीं था।"

3.  स्पेन की आर्थिक विपन्नता

स्पेन की आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण राजशाही के भयानक खर्चे तथा युद्धों का होना थे। ठीक है कि स्पेन के लिए उसकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस समय उपनिवेशों की आवश्यकता थी और अमरीका जैसा धन-कुबेर उपनिवेश स्पेन के अधिकार में था, किन्तु यूरोपीय राजनीति में स्पेन प्रभुत्व को स्थापित करने के उद्देश्य से चार्ल्स पंचम एवं फिलिप द्वितीय ने प्रयत्न किए उनका बोझ अधिक भारी था। राजदरबारी एवं राजवंश के लोग भोग-विलास एवं शानो-शौकत में धन का अपव्यय करते थे। व्यापार कुशल यहूदी एवं मूर जाति को स्पेन से निष्कासित करना आर्थिक दृष्टि से कदापि उचित नहीं था। कृषि की भी अत्यन्त दयनीय स्थिति थी। भूमि के अधिकांश भाग पर चर्च या सामन्तों का आधिपत्य था। इन्होंने कभी भी कृषि के उन्नति के विषय में विचार ही नहीं किया।

4.   स्पेनी शासकों की धार्मिक असहिष्णुता की नीति

स्पेनी शासक कैथोलिक थे। उन्होंने सदा ही कैथोलिक सम्प्रदाय की यूरोपीय सार्वभौम धर्म बनाने की चेष्टा की। इस प्रयोजन के लिए कैथोलिक विरोधियों का दमन निर्दयतापूर्वक किया। 'इन्क्वीजिशन' नामक धार्मिक अदालतें इसका स्पष्ट प्रमाण हैं। अतः स्वतन्त्र चिन्तन एवं वैज्ञानिक विचारधारा की प्रवृत्ति का मार्ग अवरुद्ध हो गया। यही कारण था कि स्पेन यूरोप के अन्य राष्ट्रों की तुलना में सांस्कृतिक एवं वैधानिक दृष्टि से काफी पीछे हो गया, जो कि स्पेनी साम्राज्य के पतन का महत्वपूर्ण कारण सिद्ध हुआ।

5.  सुदृढ़ नौ-सेना का अभाव

स्पेन की थल सेना अत्यन्त सुदृढ थी, किन्तु भूमध्यसागर एवं एटलाण्टिक सागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए स्पेन के लिए यह अति आवश्यक था कि वह अपनी नौ-सेना को भी सुदृढ़ करता। स्पेनी शासकों ने कभी भी गम्भीरता से सुदृढ़ नौ सेना के विकास के विषय में विचार नहीं किया। फिलिप चतुर्थ ने एक बार इंग्लैण्ड से लोहा लेने के लिए शक्तिशाली आर्मेडा का गठन किया था, किन्तु आर्मेडा की पराजय ने स्पेनी नौ-सेना की शक्ति पर प्रश्न चिह्न लगा दिया। इसके विपरीत स्पेन के प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी फ्रांस व इंग्लैण्ड की नौ-सेना दिन-प्रतिदिन सुदृढ़ होती चली गयी। नीदरलैण्ड्स के विद्रोह को दबाने में स्पेन अवश्य ही सफल हो गया होता यदि उसकी नौ-सेना सुदृढ़ होती।

6.  जनसंख्या में गिरावट

सोलहवीं शताब्दी के प्रथम चरण में स्पेन की जनसंख्या में भारी कमी हुई। दीर्घकालीन युद्धों में स्पेन की जनहानि, यहूदियों व मूरों का देश से निष्कासन तथा स्पेनियों का उपनिवेशों में प्रवास इसके महत्वपूर्ण कारण थे। जनसंख्या में द्रुतगति से गिरावट तत्कालीन सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टि से स्पेन के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध हुई।

7.  अन्य महत्वपूर्ण कारण

उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त तीसवर्षीय युद्ध में स्पेन की पराजय फ्रांसीसी शासक लुई 14वें की साम्राज्य विस्तारक नीति, इंग्लैण्ड की उपनिवेशवादी नीति एवं इंग्लैण्ड तथा हालैण्ड का नौसेना के क्षेत्र में एकाधिकार की ओर बढ़ना स्पेनी साम्राज्य के पतन के लिए महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुए ।

इस प्रकार माना जा सकता है कि स्पेनी साम्राज्य की विशालता एवं स्पेनी शासकों की अकुशल नीतियों ने स्पेनी साम्राज्य में अनेक अन्तर्विरोध पैदा कर दिए। इन अन्तर्विरोधों का सीधा प्रभाव वहां की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति पर पड़ा। यह प्रभाव नकारात्मक सिद्ध हुआ जिसका पूर्ण लाभ स्पेनी प्रतिद्वन्द्वियों फ्रांस, तथा हालैण्ड ने उठाया और भरसक प्रहार स्पेनी साम्राज्य पर किया। फिलिप द्वितीय के अयोग्य इंग्लैण्डउत्तराधिकारी इस प्रहार को सहन न कर पाने में अक्षम सिद्ध हुए। अतः ऐसी स्थिति में स्पेन का पतन अवश्यम्भावी था और एक ऐसे युग का आरम्भ हुआ जिसका नेतृत्व फ्रांस के हाथों में चला गया।

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