मंगलवार, 17 जनवरी 2023

भौगोलिक खोज और उसकी महत्ता

 



यूरोप में सांस्कृतिक पुनर्जागरण एवं धार्मिक जागृति के परिणाम स्वरूप यूरोप के नागरिकों द्वारा राज्य का सहयोग लेकर अनेकों यात्राएं तथा खोजबीन की एक श्रृंखला शुरू की गई। जिससे विश्व इतिहास में एक नए अध्याय का उद्घाटन हुआ, जिसे खोज का युग या अन्वेषण का युग कहा गयाभौगोलिक खोजों का आरंभिक कारण गॉड, गोल्ड और ग्लोरी से जुड़ा था। इन भौगोलिक अन्वेषणों  के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे–

1.   नये जलमार्ग की खोज करना

1453 ई० में कुस्तुनतुनियाँ पर तुर्कों के अधिकार के पश्चात् पूर्वी देशों के साथ यूरोप का व्यापारिक सम्बन्ध अवरुद्ध हो गया तथा थोड़ा बहुत व्यापार जो पूर्वी भूमध्यसागर से होता था उस पर इटली के नगरों का एकाधिकार स्थापित था। इटली से पश्चिमी यूरोप के नगरों को अधिक मूल्यों पर वस्तुयें उपलब्ध होती थीं। अतः पश्चिमी यूरोप के देश ऐसे व्यापारिक मार्गों की खोज में प्रयत्नशील हो गये जिससे पूर्वी देशों से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किया जा सके। इस प्रकार इन भौगोलिक अन्वेषणों का प्रमुख कारण व्यापार के लिये नये जलमार्ग की खोज करना था जिससे व्यापार-वाणिज्य को विकसित कर अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके।

2.   धर्म-प्रचार की भावना

धर्म-प्रचार की भावना ने पश्चिम के यूरोपीय देशों को उत्साहित किया कि वे नये स्थानों की खोज कर वहाँ ईसाई धर्म का प्रचार करें। अतः इस उद्देश्य से पश्चिमी यूरोपीय देशों के अनेक शासकों ने नाविकों को सामुद्रिक यात्रा के लिए प्रोत्साहित किया।

3.   भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि -

पुनर्जागरण काल में भौगोलिक ज्ञान में भी वृद्धि हुई। इसके अतिरिक्त जहाजरानी के क्षेत्र सुधार तथा नवीन वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण भी भौगोलिक खोजों का कार्य गरल हो गया। कुतुवनुमा (Compass) के आविष्कार के कारण समुद्र में अब दिशाओं का ज्ञान भलीभाँति प्राप्त किया जा सकता था। इस प्रकार कुतुबनुमा ने मानचित्रण तथा जहाजरानी के क्षेत्रों में क्रान्ति उत्पन्न कर दी।

4.   मार्कोपोलो का यात्रा-वृत्तान्त-

13वीं शताब्दी में इटली निवासी मार्कोपोलो ने चीन एवं अनेक पूर्वी देशों की यात्रा की तथा कई वर्ष चीन में रहने के पश्चात् वह स्वदेश लौटा। उसने अपनी यात्रा का वृत्तान्त प्रकाशित किया जिसके अन्तर्गत उसने पूर्वी देशों की समृद्धि एवं वैभव की चर्चा की। उसने वहाँ से प्राप्त होने वाली वस्तुयें जैसे चीनी, मसाले, कपास, सोना, बहुमूल्य रत्न इत्यादि का भी वर्णन किया जिससे यूरोप के लोग बहुत प्रभावित हुए तथा अब वे पूर्वी देशों से सम्पर्क स्थापित करने के सम्वन्ध में प्रयत्नशील हो उठे।

                                     भौगोलिक अन्वेषण

1. प्रिंस हेनरी द नेविगेटर:

पुर्तगाल ने सर्वप्रथम भौगोलिक खोजों की दिशा में प्रयास प्रारम्भ किया। 15वीं शताब्दी के प्रारम्भ में पुर्तगाल ही ऐसा देश था जो यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा काफी संगठित था। भौगोलिक खोजों की ओर राजकुमार हेनरी (1394-1460 ई०) के काल में प्रयास प्रारम्भ हुआ। यद्यपि उसने व्यक्तिगत रूप से कोई यात्रा नहीं की और न ही उसने किसी स्थान को खोज निकाला परन्तु उसने नाविकों की जो सहायता की वह अति सराहनीय है जिसके फलस्वरूप अनेक भौगोलिक यात्रायें की गयीं। यही कारण है कि उसे 'महान नाविक' की संज्ञा से विभूषित किया जाता है। उसने नाविकों को प्रशिक्षण के लिए काफी प्रोत्साहित किया। परिणामस्वरूप मडीरा एवं अजोर्स के द्वीप समूहों का पता लगाया तथा वहाँ पुर्तगाली उपनिवेशों की स्थापना हुई। उन्होंने 1418 में साग्रेस में भौगोलिक अनुसंधान के लिए पहला संस्थान भी स्थापित किया।

2. बार्थोलोम्यू डियाज़:

डियाज़ एक पुर्तगाली खोजकर्ता था जो अफ्रीका के दक्षिणी सिरे का चक्कर लगाने वाला पहला खोजकर्ता बना; इसके प्रयासों से केप ऑफ गुड होप के माध्यम से एक नया समुद्री मार्ग खुला ।

3. जॉन कैबोट:

जॉन कैबोट एक इतालवी खोजकर्ता था। वह उत्तर-पश्चिम मार्ग की खोज करने वाले पहले यूरोपीय था। जॉन कैबोट ने 1497 में न्यूफ़ाउंडलैंड द्वीप की खोज की।

4. क्रिस्टोफर कोलंबस:

वह इटली का एक खोजकर्ता और व्यापारी था, जिसने भारत की खोज के लिए अटलांटिक महासागर को पार किया, ताकि व्यापार किया जा सके परन्तु इस प्रयास में वह  12 अक्टूबर, 1492 को अमेरिका पहुँच गया।

5. अमेरिगो वेस्पुची:

इसने यात्रा की और अमेरिका के बारे में लिखा। उन्होंने 1499 और 1502 के बीच दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तट की खोज की। दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तट के साथ उनकी खोज यात्रा ने उसे आश्वस्त किया कि नए महाद्वीपों की खोज की जा चुकी है। 1507 में, इस नए महाद्वीप का नाम वेस्पुची के पहले नाम पर  "अमेरिका" रखा गया।

6. जुआन पोंस डी लियोन: 

यह एक स्पेनिश खोजकर्ता था जो फ्लोरिडा पहुंचने वाला पहला व्यक्ति होने के कारण प्रसिद्ध है। उन्होंने प्यूर्टो रिको में सबसे पुरानी यूरोपीय बस्ती की स्थापना की और वर्तमान गल्फ स्ट्रीम की खोज की।

7. पेड्रो अल्वारेस कैबरल:

वह एक पुर्तगाली नाविक और खोजकर्ता थे, जिन्होंने ब्राजील (1500) की खोज की थी।

8. वास्को डी गामा:

उसने पुर्तगाल से भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज की। वह पहला खोजकर्ता था जिन्होंने अफ्रीका में केप ऑफ गुड होप के माध्यम से यूरोप से सीधे भारत की खोज की और समुद्री यात्रा की।

9. फर्डिनेंड मैगलन:

एक अन्य पुर्तगाली समुद्री खोजकर्ता, फर्डिनेंड मैगेलन (1480-1521) ने पृथ्वी की परिक्रमा करने के पहले सफल प्रयास का नेतृत्व किया। वह विश्व के सभी भूमध्य रेखाओं को पार करने वाले पहला व्यक्ति था। वह यूरोप से एशिया तक पश्चिम की ओर नौकायन अभियान का नेतृत्व करने वाला और प्रशांत महासागर को पार करने वाले पहले व्यक्ति बना।

10. विलियम बैरेंट्स:

वह एक डच नाविक और खोजकर्ता था, जो सुदूर उत्तर में शुरुआती अभियानों का नेता था। बैरेंट्स सागर का नाम उनके नाम पर रखा गया है।

11. विलेम जांज़:

वह एक डच नाविक और औपनिवेशिक गवर्नर थे। वह पहला  यूरोपीय था जो ऑस्ट्रेलिया में उतरा।

12. हाबिल तस्मान:

वह सबसे महान डच नाविकों और खोजकर्ताओं में से एक था। वह ऑस्ट्रेलियाई और दक्षिण प्रशांत जल में यात्रा करने वाले पहला व्यक्ति था। उन्होंने 1642 में न्यूजीलैंड की खोज की।

13. कप्तान जेम्स कुक:

वह एक अंग्रेजी नाविक और मानचित्रकार था। उन्होंने प्रशांत महासागर में तीन यात्राएँ कीं, कई क्षेत्रों का सटीक चार्टिंग किया और पहली बार यूरोपीय मानचित्रों पर कई द्वीपों और समुद्र तटों को रिकॉर्ड किया। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट की खोज थी। उसने हवाई द्वीपों की भी खोज की।

 

                     भौगोलिक खोजों का महत्त्व और परिणाम

पश्चिमी यूरोपीय देशों के द्वारा भौगोलिक अन्वेषणों की दिशा में प्रयास किया गया था अतः सर्वप्रथम वे ही इन अन्वेषणों से लाभान्वित हुए। इन भौगोलिक अन्वेषणों के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम निकले-

1.     औपनिवेशिक साम्राज्य का विकास-

भौगोलिक अन्वेषणों का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम उपनिवेशों की स्थापना तथा औपनिवेशिक साम्राज्य का विकास था। जिन स्थानों की खोज की गई उन्हें उपनिवेशों के रूप में स्थापित किया गया। फलस्वरूप, अमेरिका, अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों, एशिया के कुछ राज्यों आदि में पश्चिमी यूरोपीय देशों के उपनिवेश स्थापित किए गए। औपनिवेशिक साम्राज्य के विस्तार में पुर्तगाल तथा स्पेन अग्रणीय रहे क्योंकि भौगोलिक अन्वेषण की दिशा में सर्वप्रथम इन्हीं देशों द्वारा प्रयास किये गये थे।

2.    व्यापार-वाणिज्य का विकास-

इन अन्वेषणों के द्वारा नवीन जलमार्गों की प्राप्ति हुई। इन जलमार्गों के द्वारा व्यापार-वाणिज्य में प्रगति हुई। इन अन्वेषणों में पहले भूमध्यसागर व्यापार का केन्द्र था परन्तु अब उसकी महत्ता समाप्त हुई तथा अटलांटिक सागर की महत्ता में वृद्धि हुई। अव यूरोपीय देशों का व्यापार एशिया, अमेरिका, अफ्रीका आदि से स्थापित हुआ । इटली के व्यापारियों का पूर्वी देशों से व्यापार के एकाधिकार का अन्त हो गया। भौगोलिक अन्वेषणों के द्वारा व्यापारिक क्रान्ति एवं वाणिज्यवाद का भी विकास सम्भव हो सका।

3.    पूँजीवाद का विकास-

व्यापार तथा वाणिज्य में क्रान्ति के फलस्वरूप पूँजीवाद का उदय हुआ। इन भौगोलिक खोजों के द्वारा यूरोप के व्यापारियों को नये वाजारों की प्राप्ति हुई जिसके द्वारा वस्तुओं की आवश्यकता तथा खपत में वृद्धि हुई। पूँजीपतियों ने बड़े पैमाने पर व्यापार-वाणिज्य में पूँजी लगाकर लाभ अर्जित करने की चेष्टा की। इस उद्देश्य से पूँजीपतियों ने संयुक्त रूप से पूँजी लगाना भी आरम्भ किया जिससे कम्पनी प्रणाली का विकास हुआ।

4.    ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार-

इन भौगोलिक अन्वेषणों ने ईसाई धर्म तथा पश्चिमी सभ्यता के प्रसार के लिए नये द्वार खोल दिये। ईसाई धर्मप्रचारक इन स्थानों पर गये तथा ईसाई धर्म का प्रचार किया। इन्होंने अमेरिका, अफ्रीका एवं एशिया में प्रवेश कर वहाँ के लोगों तक ईसामसीह का संदेश पहुँचाया जिसके फलस्वरूप एक बड़ी जनसंख्या ईसाई बन गई। ईसाई धर्मप्रचारक यूरोपीय सभ्यता के भी प्रतीक थे। वे जहाँ-जहाँ गये यूरोपीय सभ्यता भी उनके साथ-साथ उन स्थानों पर पहुँची ।

5.    दास-व्यापार का विकास-

इन भौगोलिक अन्वेषणों का एक कुपरिणाम दास-व्यापार का पुनः विकास था यह चीनी उद्योग से जुदा था। नव अन्वेषित स्थानों से वहाँ के मूल निवासियों को दास बनाकर यूरोपीय देशों में लाया गया तथा उनका विक्रय किया गया। उनसे जंगलों, खेतों एवं खनन में घोर परिश्रम लिया जाने लगा। उनके स्वामियों द्वारा उन पर अमानुषिक अत्याचार भी किये गये।

6.    अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिद्वन्द्विता-

भौगोलिक अन्वेषणों के क्षेत्र में सर्वप्रथम पुर्तगाल तथा स्पेन ने अगुआई की जिससे उनके विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुए। कालान्तर में यूरोप के अन्य देश भी उपनिवेशों की स्थापना एवं औपनिवेशिक साम्राज्य के विस्तार के लिये प्रयत्नशील हो उठे। इस प्रकार उनके मध्य औपनिवेशिक प्रधानता स्थापित करने के लिये एक प्रकार होड़ आरम्भ हुई जिसने अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिद्वन्द्विता को जन्म दिया। यह अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिद्वन्द्विता कालान्तर में अनेक युद्धों का कारण सिद्ध हुई।

7.   मूल सभ्यताओं का नष्ट होना

उपनिवेशवाद ने अमेरिका की कुछ मूल सभ्यताओं को नष्ट कर दिया। इसके दो उदाहरण इंका और एज़्टेक सभ्यताएँ हैं यूरोपीय लोगों ने महासागरों को राजमार्ग बनाया यह लोग अमेरिका में तोप ही नहीं बल्कि पीला बुखार, चेचक प्लेग इत्यादि संक्रामक रोग लेकर भी पहुंचे जिसके लिए वहां के मूल निवासियों में प्रतिरोधक क्षमता नहीं थी।

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