रविवार, 8 जनवरी 2023

पुनर्जागरण

 पुनर्जागरण शब्द की उत्पत्ति और अर्थ

सोलहवीं शताब्दी में कला के एक इतालवी इतिहासकार जॉर्जियो वसारी (1511-74) ने 1550 में इतालवी कलाकारों की जीवनी ‘द लाइव्स ऑफ़ द आर्टिस्ट’ में इटली में 'कला के पुनर्जन्म' को निरूपित करने के लिए 'rinascita' शब्द का प्रयोग किया।

महान फ्रांसीसी इतिहासकार जूल्स मिशलेट ने 1855 में 'Renaissance' शब्द गढ़ा था। इसलिए 'Renaissance' शब्द फ्रेंच है और यह लैटिन शब्द ‘renascor’ से लिया गया है जिसका अर्थ है पुनर्जन्म।

हालाँकि, यह जैकब बर्कहार्ट थे, जिन्होंने अपने क्लासिक रचना द सिविलाइज़ेशन ऑफ़ रेनेसां इन इटली (1860) में इसे आधुनिकता की शुरुआत के रूप में व्याख्यायित किया और इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाया।

आज यह शब्द यूरोपीय इतिहास में उस महत्वपूर्ण काल को संदर्भित करता है जो इटली में शुरू हुआ, विशेष रूप से फ्लोरेंस में, चौदहवीं शताब्दी में, फिर पूरे यूरोपीय महाद्वीप में फैल गया, और सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत तक जारी रहा।

पुनर्जागरण की परिभाषा

सीमित अर्थ में पुनर्जागरण यूनान और रोम की प्राचीन सभ्यता के ज्ञान विज्ञान के प्रति फिर से पैदा हुई रूचि थी। जबकि अपने व्यापक अर्थ में यह चौदहवीं से सोलहवीं सदी के काल-खण्ड में इटली में  दिखने वाली मनोवृत्ति थी जिसे जूल्स मिशलेट 'विश्व एवं मानव की खोज' के रूप में पहचानते हैं, जो मध्ययुग में धर्म के वर्चश्व में कहीं दब सी गई थी।

मुख्य विशेषताएं

1.    शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान की पुनर्खोज और प्रसार

वास्तव में 1453 ई. में तुर्कों द्वारा कस्तुन्तुनिया के पतन के बाद वहाँ के विद्वानों ने इटली की ओर पलायन करना प्रारम्भ कर दिया। 800 पांडुलिपियों के साथ अकेले कार्डिनल बेसारियोन इटली पहुंचे। इसका परिणाम यह हुआ कि ग्रीक तर्क और विद्या ने अपने पतन को दरकिनार कर दिया और इटली में प्रव्रजन कर लिया। पुनर्जागरण में, बड़ी संख्या में पश्चिमी विद्वानों ने ग्रीक भाषा सीखी और लगभग संपूर्ण ग्रीक साहित्यिक विरासत में महारत हासिल की, जो आज ज्ञात है।

2.   दुनिया की खोज

आधुनिक विज्ञान के पिता बेकन ने अपनी पुस्तक 'द एडवांसमेन्ट ऑफ लर्निंग' में बताया कि ज्ञान सिर्फ चिंतन से नहीं बल्कि प्रकृति के अन्वेषण से प्राप्त किया जा सकता है। पोलैंड निवासी कॉपरनिकस ने टॉलमी के जियो सेंट्रिक धारणा का खंडन किया जिसके लिए एक समय ब्रूनो को जिंदा जला दिया गया था। जान कैप्लर ने अपने गणितीय प्रमाणों से कोपरनिकस के विचारों का समर्थन किया। जिसका प्रत्यक्ष अनुभव गैलीलियो की दूरबीन ने किया। इसी दौर में न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण तथा हार्वे ने रक्तपरिसंचरण तंत्र की खोज की। इन वैज्ञानिक उपलब्धियों ने ज्ञान के प्रत्यक्षवादी अभिगम को सराहा। यही नहीं बल्कि इसने उन साहसिकों को भौगोलिक खोजों और यात्राओं के लिये उत्साहित किया जिन्हें राजसत्ता सहयोग कर रही थी और 'गॉड गोल्ड और ग्लोरी' प्रेरित कर रहे थे।

3.   मनुष्य की खोज

पुनर्जागरण दैवी मामलों से मानव के मामलों में स्पष्ट झुकाव के रूप में दिखा। यह झुकाव पुनर्जागरण की सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति मानवतावाद है। तकनीकी अर्थ में मानववाद अध्ययन का कार्यक्रम है जिसके द्वारा मध्ययुग की रूढ़िवादी तर्क शास्त्र और अध्यात्म के अध्ययन के स्थान पर भाषा, साहित्य और नीति शास्त्र के अध्ययन पर जोर दिया गया। साहित्य और इतिहास को अब मानविकी कहा जाने लगा। साधारण अर्थ में यह एक ऐसी विचारधारा है जिसके द्वारा मानव का गुणगान, उसके सारभूत मान मर्यादा पर बल, उसकी अपार सृजनशक्ति में अटूट आस्था और व्यक्ति के अहरणीय अधिकारों की घोषणा ही मानववाद का सार है। 'इस बेमतलब दुनिया का कोई अर्थ नहीं है अगर मनुष्य इसे अर्थ न दे' यह विचार रखने वाले ग्रीक दार्शनिक प्रोटागोरस की अनुगूँज हमें इतावली मानवतावादी जिओनी पिकाडेल्ला मिरोंडेला की कृति 'ओरेशन ऑन द डिग्निटी ऑफ मैन' में दिखती है जब वह कहता है कि 'आदमी से अद्भुत कोई नहीं है, मानव एक चमत्कार है।' इसके विचारों को 'मैनिफेस्टो ऑफ रिनेसाँ' कहा जाता है। शेक्सपियर इसे दुहराता है, 'कितनी अनुपम कृति है मानव,....ईश्वर के समतुल्य है मानव।'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

History of Urdu Literature

  ·        Controversy regarding origin Scholars have opposing views regarding the origin of Urdu language. Dr. Mahmood Sherani does not a...