गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022

अकबर का राजत्व सिद्धांत


प्रेरणा: अखिल भारतीय साम्राज्य निर्माण की आवश्यकता

1.   सर्वोच्च सत्ता का धर्म निरपेक्ष होना

2.  समस्त प्रजा के लिए निष्पक्ष होना

3.  गैर मुसलमानों के प्रति सहिष्णुता

4.  प्रजा कल्याण का उद्देश्य

अकबर के राजत्व के अवयव 

1.    मध्य एशिया की मंगोल परंपरा

2.   तैमूरी परंपरा

3.   ईरानी परंपरा

4.   भारत का उदारवादी वातावरण

5.   महल का वातावरण            



अकबर के राजत्व सिद्धांत की विशेषता

1.   पादशाह: स्थायित्व का प्रतीक 

अकबर कालीन मुगल राजत्व की सुस्पष्ट एवं विस्तृत व्याख्या अबुल फ़ज़ल ने अकबरनामा में की है। अबुल फजल के अनुसार, 'पादशाह' दो शब्दों 'पाद' तथा 'शाह' से बना है। 'पाद' का अर्थ है 'स्थायित्व' तथा 'शाह' का 'स्वामी' अथवा 'अधिपति'। इससे प्रकट होता है कि पादशाह स्वामित्व तथा स्थायित्व का प्रतीक है।

2.  राजत्व: अराजकता का विकल्प

अबुल फ़ज़ल के शब्दों में राजत्व का दैवी स्वरूप वस्तुतः राजनीतिक अराजकता का विकल्प था, "अगर राजसत्ता न होती तो अशान्ति का तूफ़ान कभी शान्त न होता, न स्वार्थी महत्त्वाकांक्षा ही समाप्त होती, अराजकता और इंद्रियलोलुपता से बोझिल मानव जाति पतन की खाई में डूब जाती। विश्व के इस बड़े बाजार की सम्पन्नता नष्ट हो जाती एवं सम्पूर्ण दुनिया बंजर हो जाती।"

3.  'फ़र्रे-इज्दी' या दिव्य ज्योति

अबुल फ़ज़ल के विचारानुसार 'राजसत्ता परमात्मा से फूटने वाला तेज और विश्व प्रकाशक सूर्य की किरण है।' वह इसे 'फ़र्रे-इज्दी' या दिव्य ज्योति कहकर सम्बोधित करता है। यह 'दिव्य ज्योति' प्रत्यक्षतः ईश्वर द्वारा सम्राटों को प्रेषित होती थी। बादशाहों के अन्दर विद्यमान होने के कारण ही लोग अधीनतापूर्वक एवं पूर्ण श्रद्धा से उसके प्रति समर्पित रहते हैं। वह कहता था कि 'सूर्य से सम्राटों के लिए विशेष कृपा प्रवाहित होती रहती है।' वह सूर्य एवं अग्नि दोनों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करता था।

4.  राजत्व परमात्मा का उपहार

अबुल फ़ज़ल की व्याख्या के अनुसार, राजत्व परमात्मा का उपहार है और वह किसी भी व्यक्ति को तब तक प्रदान नहीं करता, जब तक कि उक्त व्यक्ति में सहस्त्र महान गुण अन्तर्निहित न हों। अत; उक्त व्याख्या के अनुसार सम्राट का पद, किसी वंश-विशेष से सम्बन्धित होने या धन के बाहुल्य से प्राप्त नहीं होता अपितु योग्य एवं गुणवान व्यक्ति के ईश्वर द्वारा चयन का ही परिणाम है।

5.  राजत्व के लिए अनिवार्यताएं

अबुल फ़ज़ल के अनुसार बादशाह को अपनी प्रजा के प्रति पितृ तुल्य स्नेह; विशाल हृदय, परमात्मा के निरन्तर बढ़ती आस्था, उपासना एवं भक्ति होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य महत्त्वपूर्ण गुणों, जिनका समावेश पादशाह के व्यक्तित्त्व में अबुल फ़ज़ल आवश्यक मानते थे। वे थे—निर्मल बुद्धि, निष्पक्ष न्याय का दृष्टिकोण, सम्बन्धियों एवं अपरिचितों से भी समान व्यवहार, ईश्वर प्रदत्त साहस, कठोर परिश्रमशीलता, उदारता एवं सहनशीलता, सभी धर्मावलम्बियों के प्रति समान व्यवहार, विवेकपूर्ण निर्णय, अनुचित इच्छाओं व आवेगों का दमन, चरित्रवान एवं उदार व्यक्तियों की संगति करना एवं उनसे विचार-विमर्श व परामर्श करना, दूसरों से शीघ्र प्रभावित न होना एवं प्रजा के प्रति पितृ-तुल्य चिन्ता रखना

6.  सुलह-ए-कुल की राष्ट्रीय आकांक्षा  

साधारण अर्थ में सुलहे कुल की नीति का तात्पर्य है सभी के लिए शांति तथा सभी के बीच समन्वय। सुलहे कुल की नीति अकबर के द्वारा हिंदुस्तान की सामासिक संस्कृति की बेहतर समझ पर आधारित थी। अबुल फज़ल ने सृष्टि के चार तत्वों आग, वायु, पानी और भूमि की तुलना समाज के चार तत्वों से की क्रमशः सेना, व्यापारी, बुद्धिजीवी तथा उत्पादक वर्ग और इनमें एकता की बात की। साथ ही उसने एक सुसंगठित प्रशासक वर्ग भी प्राप्त करने का प्रयास किया जो उसकी राजपूत नीति में दिखता है।

7.  महजर की घोषणा

1579 ई. में 'महज़र' पढ़े जाने के बाद अकबर ने अपने आपको धर्म एवं राज्य दोनों का मुखिया होना स्वीकार किया था। इससे बादशाह की तुलना में उलमा की शक्ति गौण हो गयी थी। साथ ही, 'महज़र' के साथ 'इमाम' एवं 'अमीरूल मुमिनीन' की उपाधियों के धारण करने से उसकी सर्वसत्ता स्थापित हो गयी थी।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अकबर कालीन मुगल राजतंत्र अपने उत्कर्ष पर पहुँच गया। उसे निरंकुश, असीमित, परम पवित्र और दैवी आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है। वह सभी वर्गों से ऊपर एवं ऊँचा था एवं उस पर किसी प्रकार का बाहरी या विदेशी दबाव कभी नहीं रहा।

अकबर के राजत्व का महत्व

1.    नवीन तत्वों का समावेश

2.    शासन के वृहद ढांचे का निर्माण

3.    शासन के मौलिक सिद्धांतों का परिभाषित होना

4.    उच्च आदर्शों की स्थापना

5.    शासन में धर्म निरपेक्ष तत्व की स्थापना

6.    शासन के बौद्धिक आधार का निर्माण

7.    राजपूतों का जुड़ाव

8.    राजा की सर्वोच्च आध्यात्मिक भौतिक स्थिति

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