रविवार, 9 अक्तूबर 2022

मुगल कौन थे ?

मुगल फारसी भाषा का शब्द है। यह शब्द "मंगोल" से व्युत्पन्न हुआ है। दरअसल चंगेज खान के समय से ही उत्तर के सभी आक्रमणकारियों को अफगानिस्तान व भारत के निवासियों द्वारा मंगोल जाति का नाम दिया गया था। बाबर और उसके वंशजों ने भारतीय प्रजा को अपने तथा अपने अनुयायियों के लिए मुगल कहने के संबंध में मौन अनुमोदन दे दिया।

मुगल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1538 ईसवी में एक सूफी अब्दुल कुद्दुस गंगोही की बातचीत में मिलता है। इस शब्द का प्रयोग बाबर तथा उसके सैनिकों के लिए किया गया था। बाद में 18 वीं सदी के इतिहासकार खफी खां ने अपनी पुस्तक मुंतखब उल लुबाब में इस शब्द को रूढ़बद्ध किया। इसके बाद से ही सभी इतिहासकारों ने बाबर के वंशजों के लिए प्रदत्त नाममुगल लिखना शुरू किया जो बाद में एक परंपरा बन गई।

दरअसल बाबर ने स्वयं मंगोलों की तिरस्कार पूर्ण आलोचना की है। उसने मंगोलों को धूर्त कहा हैद्वेष की फसल का बीज कहा है तथा कहा है कि अगर उनका कोई राष्ट्र हो तो उसे घटिया कहा जाएगा।

तो प्रश्न उठता है कि अगर मंगोल मुगल नहीं थे। मंगोल कौन थे ?



                            मंगोलों का विस्तार 

साभार - https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Mongol_Empire_map_2.gif 
          

मंगोल शब्द की व्युत्पत्ति मोंग शब्द से हुई है। मोंग शब्द का अर्थ होता है बहादुर या दुस्साहसी शैतान। यह शब्द सबसे पहले चंगेज खान के लिए प्रयोग किया गया। मंगोलों ने लगभग 1353 के आसपास इस्लाम को अपनाना शुरू किया। दरअसल मंगोल, तार्तार घुमंतू योद्धाओं की एक शाखा थी जो चीन की दीवार के आसपास रहती थी जिसने एक समय चीन के विरुद्ध हथियार उठा लिया था। ये लोग उत्तरी एशिया के विशाल मैदानों में अज्ञात काल से घूमते रहते थे। चीनी इतिहास में तीन तार्तार जातियों का जिक्र मिलता है गोरे, काले तथा जंगली।

तो प्रश्न उठता है कि अगर बाबर मंगोल नहीं था और मुगल नाम उसे भ्रम वश दिया गया था तो बाबर वास्तव में कौन था ?

बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था। तुर्को की एक शाखा चगताई तुर्को के बरलास कबीले का सदस्य था अर्थात वह एक तुर्क था। बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था। बाबर अपने पिता की तरफ से अमीर तैमूर की वंशावली में पांचवी पीढ़ी से संबंध रखता था। इसकी माता का नाम कुतलुग निगार खानम था। बाबर माता की तरफ से मंगोल नेता चंगेज खान की 14वीं पीढ़ी से संबंध रखता था। दोनों ही एशिया के बड़े विजेता और विनाशक थे। इस प्रकार कह सकते हैं कि बाबर एक मिश्रित नस्ल का था।

इसका पिता मध्य एशिया में फरगना की एक छोटी रियासत का सरदार था जो तैमूरी राज्य का एक इलाका हुआ करता था। इसका जन्म 14 फरवरी 1483 को अन्दीजन फरगना में हुआ था। जो आज के उजबेगिस्तान में पड़ता है। पिता की मृत्यु के बाद 12 वर्ष की आयु में 8 जून 1494 को बाबर फरगना की गद्दी पर बैठा। विश्वासघाती रिश्तेदारों  तथा सरदारों के षड्यन्त्रों के कारण उसका राज्य हाथ से निकल गया तथा वह दर-दर की ठोकर खाने लगा। बाबर ने सरदारों की मदद से 1505 ई० में काबुल पर अधिकार कर लिया अब वह भारत विजय का स्वप्न देखने लगा।

              बाबर के भारत पर आक्रमण करने के कारण

1. साम्राज्य विस्तार की महत्वाकांक्षा:

बाबर अत्यंत महत्त्वाकांक्षी शासक था। वह अपने पूर्वज तैमूर लंग की भाँति एक विशाल साम्राज्य खड़ा करना चाहता था। उसने पहला प्रयास मध्य-एशिया में किया। वहाँ असफल रहने के बाद उसने काबुल तथा गजनी में अपना राज्य स्थापित किया किंतु वह काबुल तथा गजनी से संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिये वह अपना साम्राज्य भारत में फैलाना चाहता था।

2. भारत पर जीत का गौरव हासिल करने की आकांक्षा:

उन दिनों इस्लामी जगत में काफिरों के देश भारत पर विजय प्राप्त करना किसी भी मुस्लिम शासक के लिये गौरव की बात माना जाता था। इसलिये बाबर भारतवर्ष अथवा उसके एक बहुत बड़े भाग को जीतकर भारत विजय का गौरव प्राप्त करना चाहता था।

3. भारत पर वंशानुगत राज्य होने का दावा:

बाबर, तैमूर लंग का वंशज होने के कारण तैमूर द्वारा विजित भारतीय क्षेत्रों को अपने वंशानुगत राज्य में होने का दावा करता था। जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया था तब उसने पंजाब के पश्चिमी भाग को अपने राज्य में मिला लिया था परन्तु बाद में अफगानों ने उस पर अपना अधिकार जमा लिया था। इसलिये बाबर पंजाब पर अपना वंशानुगत अधिकार समझता था और उसे फिर से पाना चाहता था।

4. काबुल तथा गजनी पर अधिकार:

समरकंद तथा फरगना के हाथ से निकल जाने के बाद बाबर काबुल तथा गजनी पर अधिकार जमाने में सफल रहा था इस कारण उसके राज्य की सीमा भारत के काफी निकट आ गई थी।

5. भारत की अपार सम्पत्ति प्राप्त करने की लालसा:

बाबर भारत पर आक्रमण करके अपने पूर्वजों की भांति अपार सम्पत्ति प्राप्त करना चाहता था। उसका कहना था कि भारत में विपुल स्वर्ण सिक्कों तथा ढ़ेलों के रूप में मिलता है।

6. भारत की परिस्थितियाँ:

भारत की तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों ने भी बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिये उत्साहित किया। वह जानता था कि भारत का कोई भी प्रांतीय शासक तथा राणा सांगा, इब्राहीम लोदी का साथ नहीं देगा

7. लाहौर के अफगान अमीरों का निमंत्रण:

लाहौर के अफगान अमीरों ने बाबर को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए आमन्त्रित करने का निश्चय किया। आलम खाँ तथा दौलत खाँ के पुत्र दिलावर खाँ को बाबर के पास भेजकर आग्रह किया गया कि बाबर इब्राहीम लोदी को दिल्ली के तख्त से हटाकर, आलम खाँ को सुल्तान बनाने में सहायता करे क्योंकि इब्राहीम लोदी बड़ा ही क्रूर तथा निर्दयी शासक है।

इससे बाबर ने भारत पर आक्रमण करने की तैयारियाँ आरम्भ कर दीं।

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