शनिवार, 25 मार्च 2023

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना तथा उद्देश्य

 


कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 दोपहर 12:00 बजे, बंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज के  भवन में हुई। इसके संस्थापक एलन ऑक्टेवियन ह्यूम थे। इसके पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी थे तथा इसमें 72 लोगों ने भाग लिया था। कांग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया जिसका अर्थ है लोगों का समूह। शुरुआती नाम भारतीय राष्ट्रीय संघ यानी इंडियन नेशनल यूनियन था। बाद में दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर इसका नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अर्थात इंडियन नेशनल कांग्रेस कर दिया गया।

            कांग्रेस की स्थापना से संबंधित सुरक्षा वाल्व का सिद्धांत

इस सिद्धांत के अनुसार तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफरिन के निर्देश, मार्गदर्शन और सलाह पर ह्यूम ने इस संगठन को जन्म दिया था। ताकि उस समय भारतीय जनता में पनपते, बढ़ते असंतोष को हिंसा के ज्वालामुखी के रूप में बढ़ने और फूटने से रोका जा सके और "असंतोष की वाष्प" को बिना खतरे के बाहर निकलने के लिए सुरक्षित, सौम्य, शांतिपूर्ण और संवैधानिक निकास या "सुरक्षा वाल्व" उपलब्ध कराया जा सके। इस तरह भारतीय जनता में खुदबुदाती एक क्रांतिकारी क्षमता का गला घोट दिया गया। अर्थात एक हिंसक क्रांति जो दस्तक दे रही थी वह कांग्रेस की स्थापना के कारण टल गई।

सुरक्षा वाल्व के समर्थन में तर्क

1.    डब्ल्यू सी बनर्जी

डब्ल्यू सी बनर्जी, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे, ने अपनी पुस्तक इंट्रोडक्शन टू इंडियन पॉलिटिक्स 1898 में लिखा- "कांग्रेस के स्थापना और आज तक की उसकी कार्यशैली वास्तव में डफरिन की देन है।" "डफरिन ने ह्यूम से ऐसा संगठन बनाने को कहा जो राजनीति पर चर्चा करें जिससे सरकार को भारतीय जनता के विचारों की जानकारी मिलती रहे।"

2.   वेडर्न बर्न

वेडर्न बर्न ने ह्यूम की जीवनी लिखी जो 1913 में प्रकाशित हुई। इसके अनुसार 1876 की लिटन की प्रतिक्रियावादी नीतियों तथा आर्थिक संकट ने परिस्थितियां ऐसी बना दी थी कि अवस्था "क्रांति के किनारे" पर पहुंच गई। उनको सात खंडों की एक गोपनीय रिपोर्ट मिली जो 30,000 रिपोर्टरों की सूचना पर आधारित थी। यह रिपोर्ट बड़े विद्रोह की चेतावनी थी। इसलिए ह्यूम तथा डफरिन ने सेफ्टी वाल्व बनाने की सोची ताकि उभरते हुए असंतोष का निकास हो सके।

3.   लाला लाजपत राय

लाला लाजपत राय ने 1916 में यंग इंडिया में लिखा - "कांग्रेसी लॉर्ड डफरिन के दिमाग की उपज है"। "कांग्रेस की स्थापना का उद्देश्य राजनीतिक आजादी हासिल करने से कहीं ज्यादा यह था कि उस समय ब्रिटिश साम्राज्य पर आसन्न खतरे से उसे बचाया जा सके।"

4. रजनी पाम दत्त

मार्क्सवादी रजनी पाम दत्त ने लिखा है कि - "वायसराय के साथ मिलकर एक गुपचुप योजना तैयार की गई ताकि उस समय उठ रहे ब्रिटिश विरोधी लहर और जन असंतोष की ताकतों से ब्रिटिश शासन की रक्षा के लिए कांग्रेस का इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया जाए।"

4.   गोलवलकर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एम एस गोलवलकर ने अपनी पुस्तक वी, 1939, में लिखा है कि- "अंग्रेजों ने उस समय उबल रहे राष्ट्रवाद के खिलाफ सुरक्षा वाल्व के तौर पर कांग्रेस की स्थापना की तथा यह उस समय जाग रहे एक विशाल देव को सुला देने के लिए यह एक खिलौना था। यह राष्ट्रीय चेतना को तबाह कर देने का हथियार था।"

सुरक्षा वाल्व की धारणा की समीक्षा

1.    डब्ल्यू सी बनर्जी ने दावा किया है कि डफरिन ने सामाजिक नहीं बल्कि राजनीतिक आन्दोलन  पर जोर दिया लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। डफरिन ने 1988 में सेंट एंड्रयूज दिवस पर कहा कि कांग्रेसी अपने निहित स्वार्थों के लिए सामाजिक सुधारों को नजरअंदाज कर रही है तथा राजनीतिक आंदोलन चला रही है। दरअसल डब्ल्यू सी बनर्जी 19वीं सदी की साम्राज्य वादी सरकार से कांग्रेस को बचाना चाहते थे इसलिए उन्होंने यह कहा कि इस संस्था को अंग्रेजों ने ही बनाया है।

2.   जहां तक ह्यूम के जीवनी लेखक वेडर्न बर्न का सवाल है, सात खंडों की रिपोर्ट झूठी थी। ह्यूम का संबंध   गोपनीय विभाग या पुलिस विभाग से नहीं था। भारत में विद्रोह भारत की सूचना की बात थियोसोफिकल सोसायटी के तिब्बत की आत्माओं के प्रभाववश उत्पन्न हुई थी। ह्यूम थियोसोफिकल सोसाइटी के प्रभाव में थे।

3.    गरमपंथी लाला लाजपत राय ने इस परिकल्पना का इस्तेमाल कांग्रेस के नरम पंथी पक्ष पर प्रहार के लिए किया जैसा कि हम देख सकते हैं - "कॉन्ग्रेस के लिए ब्रिटिश साम्राज्य का हित पहले स्थान पर था और कोई नहीं कह सकता कि वह अपने उस आदर्श के प्रति ईमानदार नहीं रही है।"

4.    आर पी दत्त ने सुरक्षा वाल्व के मिथक को वाम पंथी विचारधारा के कच्चे माल के रूप में स्थापित किया। जैसा कि हम देख सकते हैं – “कांग्रेस के दो रूप थे एक पक्ष जन आंदोलन के खतरे के खिलाफ साम्राज्यवाद का सहयोग करता था तो दूसरा पक्ष राष्ट्रीय संघर्ष में जनता की अगुआई करता था” ।

5.   एम एस गोलवलकर ने कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता के कारण उसे गैर राष्ट्र वादी करार देने के लिए सुरक्षा वाल्व के सिद्धांत का प्रयोग किया। “कांग्रेसी ने लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया और यह विकृत धारणा फैलाई कि हमारे पुराने दुश्मन और हमलावर मुसलमान भी कई मामलों में हम हिंदूओं के समान हैं”।

इस प्रकार सुरक्षा कपाट की अवधारणा कांग्रेस के स्थापना की वास्तविक व्याख्या नहीं करती। कांग्रेसी की स्थापना भारत में उत्पन्न एक व्यापक राजनीतिक गतिविधियों का परिणाम थी इसलिए इसे घटित होना तय था।

कांग्रेस की स्थापना का वास्तविक कारण

गहराई से देखें तो कांग्रेस की स्थापना तत्कालीन आवश्यकताओं से प्रेरित थी जैसे-

1.    राजनीतिक चेतना के प्रसार के लिए एक संस्था आवश्यकता

2.    राष्ट्र के निर्माण के लिए एक संस्था की आवश्यकता

3.    राष्ट्रीय कार्यक्रमों के निर्माण तथा संचालन के लिए एक संस्था की आवश्यकता है

4.    सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व की तलाश के लिए एक संस्था की आवश्यकता है

5.    उपनिवेश वाद विरोधी राष्ट्रवादी विचारधारा के निर्माण के लिए एक संस्था की आवश्यकता

6.    कांग्रेस में एक तड़ित चालक के रूप में ह्यूम की भूमिका

            कांग्रेस की स्थापना का उद्देश्य

A-भारत में एकता का निर्माण करना

1.    परस्पर समन्वय करना

2.    धर्म, भाषा तथा प्रांत संबंधी विवादों का हल ढूंढना

3.    विचार विमर्श करना तथा नीतियों का निर्माण करना

4.    ब्रिटेन के अन्याय पूर्ण संबंधों को खत्म करना

5.    जनता की मांगो का सूत्री करण करना

6.    सभी वर्ग तथा समुदायों में राष्ट्रीय भावना भरना

B-राष्ट्रीय मांगों को रखना

1.    आयातित सूती वस्त्रों पर आयात शुल्क कम नहीं करना

2.    हथियार रखने का अधिकार पाना

3.    प्रेस की आजादी के लिए लड़ना

4.    सैन्य खर्च में कटौती कराना

5.    प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों की सहायता करना

6.    प्रशासनिक सेवाओं का भारती करण कराना

7.    सैनिक तथा असैनिक संगठनों में भारतीयों को प्रवेश कराना

8.    भारतीय न्यायपालिका को यूरोपीय नागरिकों पर आपराधिक मुकदमे की सुनवाई का अधिकार दिलाना

9.    अंग्रेज मतदाताओं के बीच इस तरह प्रचार करना कि वे उस दल को वोट दें जो भारतीयों के हितों का ख्याल रखें।

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